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सांसद अग्रवाल ने जनजाति समुदाय को आर्थिक और अधिकार सम्पन्न बनाने केंद्र और राज्य से की अपील

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रायपुर। रायपुर लोकसभा के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा सत्र के दौरान शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र निवासी अनुसूचित जनजाति समुदायों के अधिकारों का मुद्दा उठाया। उन्होंने वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) 2006 के तहत जनजातीय समुदायों को उनके अधिकार देने की प्रगति और लंबित मामलों पर केंद्र व राज्य सरकार से अपील की।
जनजातीय कार्य राज्यमंत्री दुर्गादास उड़के ने बताया कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के प्रावधानों के तहत अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासियों के अधिकारों को मान्यता देने का कार्य राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 सितंबर 2024 तक राज्य में 4,22,101 व्यक्तिगत अधिकार पत्र और 47,685 सामुदायिक अधिकार पत्र को मान्यता दी जा चुकी है। मंत्री ने यह भी बताया कि मंत्रालय को मासिक प्रगति रिपोर्ट (एमपीआर) के माध्यम से राज्य सरकारों से अद्यतन जानकारी प्राप्त होती रहती है। छत्तीसगढ़ में अधिनियम के तहत कार्यान्वयन की प्रक्रिया निरंतर प्रगति पर है।
सांसद अग्रवाल ने कहा कि अनुसूचित जनजाति समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके सशक्तिकरण के लिए यह अधिनियम महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार से लंबित मामलों में तेजी से निर्णय लेने का आग्रह किया ताकि वंचित समुदायों को उनके अधिकार शीघ्र प्रदान किए जा सकें। अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनजातीय आबादी का सामाजिक और आर्थिक उत्थान उनके अधिकारों के सम्मान और उन्हें सशक्त बनाने से ही संभव है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है।

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