ग्रामीण महिलाओं के पहल पर ग्राम पंचायत गारावण्डकला ने मुर्गा लड़ाई-कुकड़ागाली बंद किया
जगदलपुर। बस्तर जिला मुख्यालय से दो किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत गारावण्डकला के पुजारीगुड़ा पारा के सप्ताहिक बाजार में मुर्गा लड़ाई (स्थानिय बोली में कुकड़ागाली) का बाजार लंबे समय से लगता आ रहा है, वर्तमान में इस क्षेत्र में मुर्गा लड़ाई बाजार के साथ शराब और जुआ का प्रचलन भी अधिक बढ़ते देख एवं आस-पास क्षेत्र में भय, गंदगी की समस्या को देखते हुए ग्राम पंचायत के सभी महिला संगठन समूह के द्वारा ग्राम पंचायत गारावण्डकला में मुर्गा लड़ाई-कुकड़ागाली को पूरी तरह से बंद करने हेतु आवेदन दिया गया।
आवेदन में ग्राम पंचायत के सभी महिला संगठन के द्वारा कहा गया कि मुर्गा लड़ाई-कुकड़ागाली में ग्रामीणों द्वारा शराब पीकर महौल खराब करने एवं आसपास गंदगी फैलाये जाने लगा है। गांव में शराबियों के द्वारा शराब की बोतल फोड़ कर गांव में दहशत फैलाने का प्रयास किया जाता है, जिससे महिलाओं एवं बच्चों में दहशत का माहौल व्याप्त है। महिलाओं की जायज मांग को देखते हुए ग्राम पंचायत गारावण्डकला की ग्राम सभा में पुजारीगुड़ा पारा में मुर्गा लड़ाई-कुकड़ागाली को बंद करने आदेश जारी किया गया है । इसके साथ ही ग्राम पंचायत के द्वारा अधिनस्त थाना को इससे अवगत करवाते हुए इस संबंध में सरपंच ने पुजारीगुड़ा में मुर्गा लड़ाई-कुकड़ागाली जुआ-शराब बंद होने की जानकारी आस-पास के इलाके में फैला दिया गया है, यदि बिना पंचायत के अनुमति के मुर्गा लड़ाई-कुकड़ागाली संचालित किया जाता है तो सख्त कार्यवाही किया जायेगा ।
उल्लेखनिय है कि बस्तर संभाग के ग्रामीण इलाकों में मुर्गा लड़ाई की परंपरा रही है, लेकिन समय के साथ मुर्गा लड़ाई अब विक्रित होकर खुले खाम जुआ और शराब के कारेबार में बदल गया है। यह एक प्रकार का ऐसा जुआ है, जिसमें दो व्यक्तियों द्वारा मुर्गे के पैर में धारदार चाकू बांधकर इनको आपस में लड़ाकर दाव लगाया जाता है, जिसमें एक मुर्गे की मौत हो जाती है, जीतने वाला जश्न मनाता है। जितने वाला मरे हुए मुर्गे को अपने कब्जे में लेकर मुर्गा में लगाये गये सभी रकम उसकी हो जाती है, बस्तर के ग्रामीण इलाकों में मुर्गा लड़ाई अब विक्रित हो गया है कि इसमें खुले आम लाखों रूपये के दांव लगाने के लिए गांव में बड़ी संख्या में बाहरी लोगों का जमावड़ा लगने लगा है। इसके साथ ही यहां खुलेआम शराब, खुडख़ुड़ी एवं खाने-पीने का बाजार लगने लगा है।
ग्रामीण इलाकों में मुर्गा लड़ाई की परंपरा के नाम पर शराब और जुए का बाजार में परिर्वतित हो गये, इस बाजार में लोगों के मध्य विवाद होने लगे हैं, कई बार शराब के नशे में विवाद के दौरान हत्या तक होने लगी है। ग्रामीणों की जागरूकता एवं पंचायत के इस निणर्य की आस-पास के ग्रामों में भी सराहना की जा रही है।इसका अनुसरण अन्य ग्रामीण इलाको में भी करने के लिए प्रसाशन को पहल कर विक्रत हो चुकी मुर्गा लड़ाई-कुकड़ागाली की परंपरा के नाम पर शराब और जुए का बाजार पर अंकुश लगाने के लिए जनजागरूकता की अवश्यकता है।