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हरियाणा पंजाब की तुलना में छत्तीसगढ़ में कृषि उत्पादकता काफी कम – प्रो. मस्ता

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रायपुर। महंत लक्ष्मी नारायण दास महाविद्यालय रायपुर में आज अर्थशास्त्र विभाग के तत्वाधान में कृषकों की स्थिति और विकसित भारत विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता के तौर पर प्रो. डी. के. मस्ता डिग्री गर्ल्स महाविद्यालय रायपुर थे। वहीं आयोजन में प्रो.ललित मोहन वर्मा ,डॉ.शांतनु पाल ,डॉ. अर्चना मोडक, डॉ. राकेश चंद्राकर, डॉ. लक्ष्मीकांत साहू सहित अन्य शिक्षक शिक्षिकाएं सम्मिलित हुए।
आयोजन में मुख्य वक्ता प्रो. डी.के. मस्ता ने कहा कि कृषि हमारे मौलिक आवश्यकता है लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उभरते हुए किसान फसल को गुणवत्ता में नहीं क्विंटल में देखते हैं जो उचित नहीं है किसानों को दोनों पक्षों का बराबर ध्यान रखना चाहिए उन्होंने खेती की जमीन पर व्यावसायिक अतिक्रमण पर चिंता जाहिर की और कहा कि यह कृषि के लिए खतरनाक है बताया यही वजह है कि कृषि पर दोहरा प्रभाव देखने को मिल रहा है इसके चलते युवा किसान कृषि से हटकर अन्य कामों की तरफ भागने लगे हैं यहां तक की किसान अपने बच्चों को भी कृषि पर नहीं रखना चाहते महंगी कृषि से हर तरह के किसान परेशान है उन्होंने हरियाणा पंजाब और छत्तीसगढ़ के किसानों के उत्पादन की तुलना की और बताया कि छत्तीसगढ़ में कृषि की उत्पादकता काफी कम है वर्ष 2047 तक विकसित भारत की चर्चा करते हुए प्रो. मस्ता ने कहा कि जिस तेजी से डिजिटल प्रभाव के कारण कृषि क्षेत्र में बदलाव आ रहा है निश्चित तौर पर 2047 के लिए एक सुखद पक्ष है आज खेती में उर्वरको का छिड़काव भी ड्रोन से होने लगा है यह तकनीकी बदलाव का एक महत्वपूर्ण प्रभाव है उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ में आज भी खुले स्थान पर धान की फसल को रखा जा रहा है जबकि सरकार को कोल्ड स्टोरेज गोडाउन अधिक से अधिक निर्मित करके व्यवस्था करना चाहिए ताकि धान की फसल को सुरक्षित किया जा सके और किसानों को लाभ मिल सके कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रमुखता को भी जाहिर करते हुए प्रो. मस्ता ने कहा की मीठा नीम में कीटनाशक लगने की जानकारी भी चैट जीटीपी से हल की जा सकती है इसलिए किसान अब डिजिटल युग में प्रयोग कर आधुनिक कृषि की तरफ बढ़ रहे हैं कार्यक्रम में वाणिज्य संकाय के डॉ. शांतनु पाल ने विषय पर उद्घाटन उद्बोधन दिया साथ में डॉ.लक्ष्मीकांत साहू डॉ. राकेश चंद्राकर, प्रो. ललित मोहन वर्मा इत्यादि शिक्षकों ने भी विषय पर बातचीत रखी और छात्र-छात्राओं द्वारा सवाल जवाब भी किए गए।

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