New Delhi

दिल्ली कोचिंग सेंटर मामला: अदालत ने ‘बेसमेंट’ के मालिकों को जमानत देने से इनकार किया

Share

नई दिल्ली । दिल्ली की एक अदालत ने ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित एक कोचिंग सेंटर के उस ‘बेसमेंट’ के चार सह-मालिकों की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी जिसमें पानी भरने के कारण, सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत हो गई थी। लेकिन अदालत ने साथ ही कहा कि इस घटना के लिए ‘‘केवल वे जिम्मेदार” नहीं हैं।

अदालत ने कहा कि एक नागरिक द्वारा शिकायत किए जाने के बाद भी ‘बेसमेंट’ के अवैध उपयोग के मामले को लंबित रखने वाले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अधिकारियों की भूमिका उनकी मिलीभगत के बारे में बहुत कुछ कहती है। उसने उम्मीद जताई कि ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित ‘राऊज आईएएस स्टडी सर्किल’ में 27 जुलाई को हुई इस घटना की जांच कर रहा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) सभी दोषियों को न्याय के दायरे में लाएगा।

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने ‘बेसमेंट’ के चार सह मालिकों – परविंदर सिंह, तजिंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि सीबीआई की जांच प्रारंभिक चरण में है और उनकी भूमिका का पता लगाया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भवन उपनियमों के उल्लंघन और (क्षेत्र में) नाले पर अतिक्रमण के मुद्दे की भी जांच किए जाने जरूरत है।

अदालत ने कहा कि घटना से एक महीने पहले करोल बाग निवासी किशोर सिंह कुशवाहा ने अधिकारियों से, खास तौर पर ‘राऊज आईएएस स्टडी सर्किल’ के खिलाफ शिकायत की थी जो बिना अनुमति के ‘बेसमेंट’ में कक्षाएं संचालित कर रहा था। उसने कहा कि कुशवाह ने बड़ी दुर्घटना की आशंका जताई थी। उसने कहा, ‘‘यह जानकर दुख होता है कि जुलाई में इस संबंध में शिकायत किए जाने के बावजूद अधिकारियों ने उक्त शिकायत पर ध्यान नहीं दिया और त्वरित कार्रवाई नहीं की, अन्यथा बहुमूल्य जीवन बचाए जा सकते थे।’

अदालत ने कहा, ‘‘नगर निकाय प्राधिकारियों और जल निकासी व्यवस्था की विफलता की बात करें तो यह सच है कि इस घटना का बड़ा कारण यह व्यवस्था है, लेकिन इससे याचिकाकर्ताओं की गलती कम नहीं हो जाती, खासकर तब जब वर्षा के पानी की मुख्य रूप से अतिक्रमण और अवरोधों के कारण निकासी नहीं हो सकी।” ‘बेसमेंट’ को पट्टे पर देने और घटना के बीच प्रत्यक्ष एवं निकट संबंध के बारे में अदालत ने कहा कि ‘बेसमेंट’ के मालिक उन गतिविधियों के जोखिमों के बारे में जानने की स्थिति में थे, जो सुरक्षा मानदंडों के विरुद्ध बड़ी संख्या में छात्रों की लंबे समय तक उपस्थिति से पैदा हो रहे थे।

अदालत ने कहा कि मालिक उसी इलाके के निवासी थे और वहां की परिस्थितियों से अवगत थे जहां यह घटना हुई, तो ऐसे में उनकी इस दलील में कोई दम नहीं है कि उन्हें गैर इरादतन हत्या के लिए जिम्मेदार नहीं बताया जा सकता। अदालत ने 14 पृष्ठ के अपने आदेश में कहा कि गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि अपराधी को घटना की सटीक जानकारी हो। उसने कहा, ‘जानकारी का अर्थ है कि ऐसी घटना की संभावना के बारे में सचेत रहना। यह पर्याप्त है कि आरोपी जानते थे कि ‘बेसमेंट’ के अवैध उपयोग की अनुमति देकर वे दूसरों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं। ‘बेसमेंट’ के अवैध उपयोग की अनुमति देने का इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से सीधा संबंध है।’

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने का तथ्य जमानत पर रिहा किए जाने के लिए ऐसे समय में पर्याप्त नहीं है, जब सीबीआई की जांच ‘‘अपने प्रारंभिक और महत्वपूर्ण चरण” में है, जब ‘‘महत्वपूर्ण साक्ष्य” एकत्र किए जा रहे हैं और ‘‘गवाहों से पूछताछ” की जा रही है। उसने कहा, ‘भवन निर्माण उपनियमों के उल्लंघन और जल निकासी व्यवस्था पर अतिक्रमण के मुद्दे की जांच किए जाने और याचिकाकर्ताओं की विशिष्ट भूमिका का पता लगाए जाने की आवश्यकता है।’

GLIBS WhatsApp Group
Show More
Back to top button