Chhattisgarh

कई निजी स्कूल खस्ताहाल, झांकने तक नहीं जा रहे अधिकारी, न सुविधा न शिक्षा, परमिशन के बाद बदल रहे स्कूल भवन

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कवर्धा। जिले की शिक्षा व्यवस्था को लेकर कोई भी अधिकारी गम्भीर दिखाई नहीं दे रहा है, तभी तो मोटी फीस लेकर भी निजी स्कूल के संचालक न तो अच्छी शिक्षा दे रहे और न ही सुविधा। निजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले पालक सोचते है सरकारी स्कूल में हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाएगी, और इसके कारण वे निजी स्कूल में मोटी फीस देकर एडमिशन करवा रहे है, लेकिन खस्ताहाल स्कूल को मान्यता देने वाले शिक्षा विभाग व राजस्व विभाग की बड़ी लापरवाही के कारण बच्चों का पढ़ाई खराब हो रहा है।

यहां तो पढ़ाई नहीं सो रहे शिक्षक
लोहारा नगर पंचायत स्थित श्री कृष्णा पब्लिक स्कूल में प्राचार्य गायब मिली और शिक्षक स्कूल में ई सोते गए दिखाई दे रही थी, स्कूल में किसी प्रकार की कोई सुविधा नही है, जबकि इस स्कूल को 6वी तक मान्यता दी गई है और वर्तमान में यहां 80 बजे है, लेकिन इनकी सुरक्षा पर जरा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। केवल फीस लेकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। न सीसीटीवी कैमरा है और न ही बच्चों के खेलने खेल मैदान है, बच्चे किसी आंगनबाड़ी की तरह निजी स्कूल में पढ़ाई कर रहे है।

ये तो बड़ी लापरवाही पांच कक्षा के लिए तीन शिक्षक
कहते है निजी स्कूल की पढ़ाई अच्छी होती है, इसके कारण बच्चों को पालक निजी स्कूल में एडमिशन करते है, लेकिन आपको एक ऐसे निजी स्कूल के बारे में बताते है जहां क्लास तो 5वी तक है लेकिन बच्चों को पढ़ाने सिर्फ 3 शिक्षक है, कवर्धा विकासखंड के ही लक्ष्य पब्लिक स्कूल बरबसपुर में एक क्लास में दो कक्षाए लगाई जा रही है, यह तो अधिकारियों की घोर लापरवाही है जो एक कक्षा में दो कक्षा की पढ़ाई हो रही है, ऐसे में कैसे निजी स्कूलों में पढ़ाई होगी। साथ ही यहां किसी प्रकार की सुविधा नही है, टॉयलेट का दरवाजा टूटा हुआ है, सीसीटीवी कैमरा से लेकर कोई सुविधा नहीं है जिसके कारण यहां बच्चों की एडमिशन कम है, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी कोई ध्यान नहीं देते है।

स्कूल खुलने के बाद बदल देते है जगह
स्कुल संचालक की मनमानी ऐसी है कि अधिकारी भी समझ नहीं पा रहे है। जिस समय स्कूल खोलने मान्यता हेतु शिक्षा विभाग में आवेदन देते है उस समय तहसीलदार व अन्य अधिकारियों को निरीक्षण के दौरान दूसरे स्कूल में स्कूल संचालन का बात कहकर निरीक्षण कराया जाता है, लेकिन मान्यता मिलते ही निजी स्कूल संचालक स्कूल को बदलकर दूसरे स्थान पर ले जाते है, इसके बाद अधिकारी दोबारा निरीक्षण नहीं करते है। स्कूल संचालक बिना सुविधा के मोटी रकम कमाने स्कूल खोल रहे है और अधिकारी साठगांठ कर इन् निजी स्कूल संचालकों को मान्यता भी दे रहे है। इस प्रकार मनमानी करने वाले निजी स्कूल पर कार्रवाई करना चाहिए।

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