नहीं किसी की आस, पप्पू यादव ने सर्वाधिक तीन बार निर्दलीय प्रत्याशी सांसद बनने का बनाया रिकॉर्ड
Pappu Yadav News: कांग्रेस के बागी नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने न सिर्फ पूर्णिया संसदीय सीट पर ‘सियासी हवा’ का रुख बदलकर सांसद बनें ,साथ ही बिहार में अब तक हुये चुनाव मे सर्वाधिक तीन बार निर्दलीय प्रत्याशी सांसद बनने का रिकार्ड भी बना दिया।
बिहार में वर्ष 1952 से 2019 तक हुये लोकसभा चुनाव में तीन निर्दलीय प्रत्याशी में सर्वाधिक दो-दो बार डुमरांव महाराज कमल सिंह, वामपंथी नेता ए.के.राय और राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव शामिल थे। पूर्णिया संसदीय सीट से जीत दर्ज करने के साथ हीं पप्पू यादव ने बिहार में सर्वाधिक तीन बार निर्दलीय प्रत्याशी सांसद बनने का रिकार्ड भी बना दिया।
बिहार में पप्पू यादव इस बार निर्दलीय प्रत्याशी लोकसभा का चुनाव जीतने वाले एकमात्र राजनेता बने। पप्पू यादव ने बिहार में 14 साल के बाद निर्दलीय प्रत्याशी को जीत दिलायी है। इससे पूर्व वर्ष 2010 में बांका उपचुनाव में पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल कुमारी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में बिहार से कोई निर्दलीय प्रत्याशी संसद नहीं पहुंचा।
बिहार की हाइप्रोफाइल सीट में शामिल पूर्णिया संसदीय सीट से निर्दलीय प्रत्याशी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने रोमांचक मुकाबले में जनता दल यूनाईटेड (जदयू) प्रत्याशी संतोष कुमार को 23 हजार 847 मतों के अंतर से शिकस्त दी और वह पूर्णिया से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर तीसरी बार चुनाव जीतने में सफल रहे।
पप्पू यादव कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिया से चुनाव लड़ना चाहते थे और इसी आस में उन्होंने अपनी जन अधिकार पार्टी (जाप) का कांग्रेस में विलय कर दिया था। इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच यह सीट बंटवारे के समझौते के तहत राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के खाते में चली गयी। राजद ने जनता दल यूनाईटेड (जदयू) छोड़कर उनकी पार्टी में आयी रूपौली की पांच बार से विधायक बीमा भारती को पूर्णिया से उम्मीदवार बनाया।
पप्पू यादव ने कांग्रेस आलाकमान से बात की। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से भी बात की, लेकिन किसीं ने उनकी बात नहीं सुनीं। पूर्णिया सीट कांग्रेस को नहीं मिलने से नाराज पप्पू यादव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव रणभूमि में उतर आये। नेता प्रतिपक्ष पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बीमा भारती के पक्ष में चुनावी सभा की थी।
तेजस्वी यादव ने पप्पू यादव का नाम लिए बगैर मतदाताओं से अपील करते हुए कहा था कि यह एनडीए और इडिया की लड़ाई है। या तो आप इंडिया को चुनो ,और इंडिया को यदि नही चुनते हैं बीमा भारती को, तो एनडीए को चुनो। इससे साफ था कि तेजस्वी हर हाल में पप्पू यादव को हराने चाहते हैं।
पूर्णिया की आम जनता न ने तो एनडीए और न हीं इंडिया को चुना।पप्पू यादव को पूर्णिया की आम जनता ने साथ दिया और उन्होंने सियासी हवा का रूख पलट दिया और बाजी अपने नाम करने के साथ ही पूर्णिया के ‘सिंघम’ बन गये। पप्पू यादव ने जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के संतोष कुमार को पराजित कर उनकी हैट्रिक लगाने के सपने को चूर कर दिया। राजद की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रही।
निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव ने इससे पूर्व तीन बार पूर्णिया संसदीय सीट से वर्ष 1991, वर्ष 1996 और वर्ष 1999 में जीत हासिल की है। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पप्पू यादव ने वर्ष 1991 वर्ष 1999 और अब 2024 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की है। वर्ष 1952 में बिहार में हुये पहले लोकसभा चुनाव में 49 निर्दलीय प्रत्याशी ने सांसद बनने का सपना संजोये चुनाव लड़ा लेकिन इनमें से एक ही संसद तक पहुंचने में सफल रहे।
शाहाबाद उत्तर पश्चिम सीट से डुमरांव महाराज कमल सिंह निर्दलीय चुने गये। वर्ष 1957 में 60 निर्दलीय प्रत्याशी ने अपनी किस्मत आजमायी लेकिन इस बार भी केवल एक निर्दलीय सांसद बनने में सफल रहे। बक्सर सीट से डुमरांव महाराज कमल सिंह फिर निर्वाचित हुये। वर्ष 1962 के चुनाव में 34 निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में सांसद बनने के इरादे से उतरे लेकिन आम जनता ने किसी को सांसद बनने का अवसर नहीं दिया। वर्ष 1967 के आम चुनाव में 99 निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी समर में उतरे लेकिन चार को ही सफलता मिली।
नवादा से सूर्य प्रकाश नारायण पुरी,, चतरा से विजया राजे, हजारीबाग से रामगढ़ के राजा बसंत नारायण सिंह और सिंहभूम से के.विरूआ के सर जीत का सेहरा सजा। बिहार में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में चार से अधिक निर्दलीय के सिर जीत का सेहरा नहीं सजा है। चतरा लोकसभा सीट वर्ष 1957 में अस्तित्व में आयी। यहां की पहली सांसद छोटानागपुर संताल परगना जनता पार्टी (सीएसपीजेपी) की प्रत्याशी रामगढ़ राजघराने की महारानी विजया राजे थी। चतरा लोकसभा सीट से रामगढ़ के राजा बसंत नारायण सिंह की पत्नी विजया राजे लगातार तीन बार सांसद बनीं।
विजया राजे पहली बार 1957 में सीएसपीजेपी से सांसद चुनी गयी थीं। वर्ष 1962 में विजया राजे ने स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ा और जीती। इसके बाद विजया राजे वर्ष 1967 में निर्दलीय चुनाव लड़ी और विजयी रहीं।चतरा लोकसभा सीट से चिजया राजे लगातार तीन बार सांसद बनीं. इसका रिकॉर्ड भी आज तक नहीं टूटा है।विजया राजे वर्ष 1957 से 1967 तक तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी को हरा कर सांसद बनी थी। विजया राजे का हेलीकॉप्टर चुनाव प्रचार में आता था,जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती थी।