समुचित ड्राइंग डिजाइन किए बगैर आर्किटेक्ट मेसर्स दिवाकृति राव एण्ड एसोसिएट को हो गया 88 लाख 12000 भुगतान
रायपुर। सिकलसेल संस्थान छत्तीसगढ़ को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में उन्नयन करने एवं उच्च परिमाप प्रयोग शाला व स्टाफ भवन का निर्माण करने नियुक्त आर्किटेक्ट मेसर्स दिवाकृति राव एण्ड एसोसिएट 218 द्वितीय तल बी-विंग क्रिस्टल आर्केड लोधीपारा चौक रायपुर (छ.ग.) द्वारा समुचित मान्य डिजाइन बनाने में अक्षम होने के बाद भी 88 लाख 12000 हजार रुपये भुगतान प्राप्त कर लिया। संबंधित से उक्त राशि सब्याज वसूली करने तथा बिना सक्षम प्राधिकारी से प्राप्त खण्ड तथा खण्ड डिजाइन ड्राइंग को अनुमोदन / जांचे भुगतान करने वाले जिम्मेदारों पर सख्त विभागीय कार्यवाही करने सामाजिक कार्यकर्ता राकेश चौबे ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि इस मामले की ईओडब्ल्यू से जांच भी करायी जानी चाहिए।
राकेश चौबे ने ज्ञापन सौंपने के बाद बताया कि 21 सितंबर 2020 को आर्किटेक्ट को उच्च परिमाप लैब बनाने भवन का ड्राइंग / डिजाइन बनाने हेतु आदेश जारी किया गया था परन्तु आज तक उक्त द्वारा समुचित ढंग का ड्राइंग प्रस्तुत नहीं किया जा सका है उसके द्वारा प्रस्तुत किये गये ड्राइंग्स पर नामित द्वारा प्रस्तुत पहले बिल का भुगतान 18 फरवरी 2022 को करने अनुशंसित किया गया था। 23 मार्च 2022 को आर्किटेक्ट द्वारा कार्यपालन अभियंता को डिविजन-2 रायपुर को पत्र भेजा जिसमें दर्ज था कि 70 प्रतिशत तक समस्त प्रकार के ड्राइंग और डिजाइन प्रस्तुत किया जा चुका है एवं प्रस्तुत डिजाइनों को मुख्य अभियंता द्वारा तकनीकी स्वीकृति भी दी जा चुकी है, अत: प्रस्तुत बिलों का भुगतान करने का विचार हो ताकि वह विश्वेसरैया राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान नागपुर (महाराष्ट्र) का संरचना जांच के लिए अग्रिम भुगतान कर सकें। यहां पर आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि 10/08/2022 को आर्किटेक्ट द्वारा कार्यपालन अभियंता डिवीजन -2 रायपुर को बिल भेजा गया के पृष्ठ (6) में कार्यरत द्वारा टीप दर्ज की गई कि प्रथम तल की डिजाइन वीएनआईटी नागपुर से प्राप्त हो चुकी है अत: भुगतान करने की अनुशंसा की जाती है। पश्चात ज्ञात हुआ कि इसी प्रकार आगे कार्यपालन अभियंता ने अनुशंसा कर 82 लाख 12 हजार का बिल पेमेंट करवा दिया था, जो कि वीएनआईटी के बिना जांच किए ही किया गया।
राकेश चौबे ने बताया कि राज्य में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी भिलाई में तथा राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रायपुर शहर में स्थित है। उक्त दोनों संस्थानों को नजरंदाज कर नागपुर (महाराष्ट्र) के वीएनआईटी को क्यों चुना गया। अवश्य है वहाँ के संबंधित विभाग के लोगो से आर्किटेक्ट की विशेष जान – पहचान होगी, वहीं तत्कालीन कार्यपालन अभियंता द्वारा इस बिंदु को क्यों नजरंदाज किया उसने तो इकाई से जांच होकर वीएनआईटी डिजाइन प्राप्त होने की अनुशंसा भी दर्ज कर दिया था। इसके पश्चात उप अभियंता, सहायक अभियंता, कार्यपालन अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता के मध्य जवाबदारी थोपने का कार्य आरंभ हुआ एवं स्पष्टीकरण मांगने का दौर आरंभ हुआ। इसके बाद कार्यपालन अभियन्ता द्वारा दिनांक 07/12/2023 को पत्र वीएनआईटी नागपुर को प्रेषित हुआ जिसमें 09 बिंदुओं पर संस्थान के जांच कार्य को त्रुटिपूर्ण बताकर किये गये कार्यों की निंदा की गई थी। आर्किटेक्ट को दिनांक 23/11/2023 को (।।) बिदुओं पर डिजाइन को सुधारने का निर्देश कार्यपालन अभियंता द्वारा दिया गया, जिस पर आर्किटेक्ट ने कोई सुधार नहीं किया और न ही पत्रों का कोई प्रत्युत्तर भी नहीं दिया।
वर्तमान में पूरी डिजाइन ही अमानक हो गई है जिससे उस पर निर्माण कार्य करना असंभव है। इन परिस्थितियों में उन्होंने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता से मांग करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में दो-दो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय तकनीकी संस्थान होते हुए महाराष्ट्र के राष्ट्रीय संस्थान को क्यों डिजाइन जांच / वेरिफिकेशन हेतु चुना गया। कार्यपालन अभियंता द्वारा बिना डिजाइन जांच के रिपोर्ट को देखे कैसे बिलों में यह दर्ज किया कि नागपुर की संस्थान से फ्लोर्स को डिजाइन प्राप्त हो चुकी है। अब भी राज्य के राष्ट्रीय / अंतराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों को नजर अंदाज कर राज्य स्तर के संस्था इंजीनियरिंग कॉलेज रायपुर से क्यों डिजाइनों की जांच कराई गई वही गौर करने वाली बात यह है कि उक्त संस्था ने भी कई खामियां डिजाइनों में निकाल दी है। समस्त भुगतान राशि दोषियों से वसूलने हेतु कार्यवाही आरंभ किया जाए, इसके साथ ही इसकी जांच छत्तीसगढ़ आर्थिक अन्वेशन ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) से इसकी जांच कराई जाए।
एक और गंभीर बात ये भी है कि मुख्य अभियंता लोनिवि रायपुर परिक्षेत्र द्वारा 1 मई 2024 को कार्यपालन अभियंता लोनिवि संभाग क्रमांक-2 को पत्र जारी किया गया था कि वास्तुविद दिवाकृति राव एंड एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड रायपुर को ब्लैक लिस्ट किये जाने के संबंध में प्रस्ताव दिया गया था उक्त निर्देश का पालन नहीं किया गया। इसलिए पुन: निर्देश किया जाता है कि वास्तुविद दिवाकृति राव एंड एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड को ब्लैक लिस्ट किये जाने के संबंध में प्रस्ताव तत्काल अधीक्षण अभियंता के माध्यम से प्रस्तुत करें।