गंगरेल बांध से हटाए गए 679 अवैध केज, पर्यावरण संरक्षण पर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में हुई

बिलासपुर। हाईकोर्ट में गंगरेल बांध में मछली और पक्षियों के संरक्षण के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य शासन के मत्स्य विभाग ने शपथपत्र के माध्यम से अदालत को सूचित किया कि जलाशय में लगाए गए 779 पिंजरों में से अब तक 679 केज हटा दिए गए हैं, और अब केवल 100 केज बचे हैं जिन्हें जल्द ही हटा लिया जाएगा।
🐟 क्या है मामला?
धमतरी स्थित वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसायटी द्वारा दाखिल याचिका में आरोप लगाया है कि गंगरेल जलाशय में बिना वैध अनुमति के पिंजरा आधारित मछली पालन किया जा रहा है। इससे पक्षियों और जलीय जीवन को गंभीर खतरा पैदा हो गया है और आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि शासन ने 6 माह पूर्व इन पिंजरों को हटाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई थी।
🧾 सरकार की दलीलें:
मत्स्य विभाग ने बताया कि फुटाहामुड़ा क्षेत्र, जो एक संवेदनशील आर्द्रभूमि है, वहां सबसे ज्यादा पिंजरे लगे थे।
774 में से अधिकांश पिंजरे हटाए जा चुके हैं, और शेष को भी हटाने की प्रक्रिया जारी है।
किसानों/लाभार्थियों ने पिंजरों को अन्यत्र स्थानांतरित करने पर सहमति दे दी है।
सिंचाई विभाग को उपयुक्त वैकल्पिक स्थान चिन्हित करने का कार्य सौंपा गया है।
जिला प्रशासन ने भी कार्यपालक अभियंता को इस बाबत पत्र भेजा है।
⚖️ हाईकोर्ट में अगली सुनवाई:
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मत्स्य विभाग की प्रगति पर संतोष जताया लेकिन शेष 100 केज को हटाने के लिए स्पष्ट समयसीमा तय करने पर जोर दिया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है।
