
रायपुर। 16 जनवरी से 15 फरवरी तक 'सक्षम संरक्षण क्षमता महोत्सव मनाया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के लिए और आम जनता को जागरूक करने के लिए पीसीआरए की ओर से यह कार्यक्रम किया जाता है। कार्यक्रम का उद्घाटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने 16 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किया। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों के उपयोग से न केवल लंबे समय तक मानव उपयोग के लिए प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में मदद मिलेगी, बल्कि इससे प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद मिलेगी और इस तरह से जीवन स्तर में सुधार होगा। आने वाले समय में और अधिक स्वच्छ ईंधन लाने पर ध्यान देने का आग्रह किया। साहू ने राज्य में बायो-गैस संयंत्र स्थापित करने के लिए व्यक्तियों को आगे आने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने चावल की भूसी और चोकर से इथेनॉल बनाने की पहल पर भी जोर दिया है, ताकि भारत को पेट्रोलियम उत्पादों में अधिक आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद मिले। सरकार सार्वजनिक परिवहन के रूप में राज्य में ई-रिक्शा के उपयोग पर भी केंद्रित है। अभियान के एक हिस्से के रूप में महीने के कार्यक्रम के दौरान, संपूर्ण तेल उद्योग समाज के विभिन्न वर्गों जैसे स्कूली बच्चों, युवाओं, हल्के, मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहनों, ग्राम पंचायतों आदि में पहुंचने के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ करता है। ताम्रध्वज ने कहा, भारत की तेजी से बढ़ती ऊर्जा जरूरतों और ईंधन आवश्यकताओं की परिकल्पना करते हुए पेट्रोलियम उत्पादों और पर्यावरण संरक्षण के संरक्षण की आवश्यकता और महत्व पर जोर देना है।

धमतरी। औषधीय गुणों से भरपूर काला हीरा यानि मखाना की पॉपिंग अब धमतरी जिले में मशीन से शुरू हो गई है। ध्यान देने वाली बात है कि सूखे मेवे, उपवास में भोजन के तौर पर उपयोग में लाए जाने वाले मखाना में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, विटामिन काम्प्लेक्स, फाइबर और एश होता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें काफी कम मात्रा में शुगर होता है। यह दिल के मरीजों के लिए भी लाभदायक है। खुले बाजार में 600 से 800 रूपए किलो में मिलने वाले मखाने की खेती धमतरी में कृषि विज्ञान केन्द्र प्रक्षेत्र में पिछले तीन सालों से की जा रही है। वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र डॉ. एसएस चन्द्रवंशी बताते हैं कि मखाना की खेती जल भराव और दलदली भूमि में होती है। चूंकि धमतरी जिले का क्षेत्र निचली भूमि है इसलिए यहां मखाना की खेती के बेहतर नतीजे मिलने की गुंजाईश को नकारा नहीं जा सकता। यह भी दिलचस्प बात है कि प्रदेश में सबसे पहले धमतरी जिले में मखाना की खेती की शुरूआत की गई।
इसके साथ ही मखाना की खेती का परीक्षण किसानों के खेतों में किया जा चुका है और उन्हें समझाइश भी दी गई कि ऐसे खेतए जहां जल भराव अधिक होता है, वहां आसानी से काला हीरा उगाया जा सकता है। इसी समझाईश और ष्काले हीरे की औषधीय गुणों को समझ बोड़रा के किसान हरि ओम साहू द्वारा 2017.18 में अपने 75 डिसमिल खेत में मखाना की खेती की। यहां उत्पादित तकरीबन सात क्विंटल मखाना बीज को कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से बिहार और लुधियाना में बेचा गया। किसान हरि ओम साहू को इससे 40 हजार रूपए का मुनाफा हुआ। हालांकि उस वक्त जिले में मैनुअल मखाना पॉपिंग की जाती थीए इस वजह से कच्चे मखाना के बीज को बेचा गया।
मगर हाल ही में रूर्बन क्लस्टर लोहरसी के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र सम्बलपुर में मखाना प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई है। जिसमें 12 लाख की लागत वाली मखाना रोस्टिंग और पॉपिंग मशीन प्रदाय की गई है। इसके जरिए अब मखाना की पॉपिंग और मखाना की खेती के प्रति किसानों का और रूझान बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। कृषि विज्ञान केन्द्र में स्थापित इस मखाना प्रसंस्करण इकाई में लोहरसी रूर्बन क्लस्टर की जनजागरण, जय दुर्गे, गायत्री, जय मां पार्वती इत्यादि महिला स्व सहायता समूह की 10 महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया है और वे इस इकाई का संचालन भी कर रही हैं।
जय दुर्गे महिला स्व सहायता समूह की सरस्वती साहू और गायत्री महिला स्व सहायता समूह सम्बलपुर की सरिता साहू बताती हैं कि उनका समूह आधे एकड़ में मखाना की खेती 2019.20 से कर रहा है। उस वक्त यह मखाना प्रसंस्करण मशीन उपलब्ध नहीं होने की वजह से मैनुअल पॉपिंग काफी समय लेता था। अब इस मशीन से पॉपिंग करने से अच्छी गुणवत्ता के मखाना पॉप हो रहे तथा मेहनत और समय दोनों की बचत हो रही है। वहीं संतोषी रामटेके और जयंती ध्रुव भी मखाना प्रसंस्करण इकाई स्थापना से समूह को पॉपिंग के जरिए होने वाले मुनाफे को लेकर काफी खुश नजर आई। गौरतलब है कि कृषि विज्ञान केन्द्र में वर्ष 2019 20 में आठ एकड़ में उत्पादित मखाना बीज की पॉपिंग अभी की जा रही है। जनवरी माहांत तक अगस्त 2020 में लगाए गए मखाना पौध से लगभग 30 से 40 क्विंटल मखाना बीज उत्पादन की संभावना है। इसके तुरंत बाद खेत में जनवरी से फरवरी माह में मखाना पौध लगाए जा सकते हैं। डॉ.चन्द्रवंशी बताते हैं कि साल में दो बार खरीफ और रबी सीजन में मखाना की फसल ली जा सकती है।
निचली भूमि होने की वजह से यहां काफी संभावनाएं हैं कि इस मेवे की खेती में किसानों का रूझान और बढ़े। इसमें मखाना प्रसंस्करण इकाई की स्थापना भी सहयोगी साबित होगा। उनका कहना है कि पहले जहां मैनुअल तौर पर एक दिन में तीन से पांच किलो मखाना पॉप होता था, वहीं मशीन से एक दिन में 20 से 30 किलो मखाना पॉप मिल रहा है। इस तरह से मखाना पॉपिंग की लागत 44 हजार रूपए और प्रति एकड़ शुद्ध मुनाफा एक लाख 17 हजार रूपए हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रति एकड़ में 8 से 9 क्विंटल मखाना बीज ;रॉद्ध मिलता है, जिसकी लागत 28 हजार रूपए और शुद्ध मुनाफा 53 हजार रूपए प्रति एकड़ है। यह जिले के किसानों के लिए वाकई एक बेहतर अवसर है, जब वे खरीफ और रबी दोनों मौसम में दलदली भूमि और जलभराव वाले खेतों में मखाना की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं।

रायपुर। जल प्रदूषणकारी उद्योगों से हो रहे जल प्रदूषण पर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल ने प्रभावी ढंग से नियंत्रण किया है। इसकी सतत् रूप से मॉनिटरिंग भी की जा रही है। साथ ही प्राकृतिक जल स्त्रोतों की जल गुणवत्ता की मॉनिटरिंग भी की जा रही है। मंडल के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा यह भी सुनिश्चित कराया गया है कि राज्य में स्थापित सभी जल प्रदूषणकारी उद्योग, दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना के साथ ही संचालित हो। इसमें उल्लंघन पाये जाने पर उद्योगों को बंद कराने तथा विद्युत विच्छेदन की कार्यवाही की जाती है और आवश्यक होने पर न्यायालयीन कार्यवाही भी की जाती है। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा यह भी अवगत कराया गया है कि भनपुरी, उरला एवं सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र से निकलकर खारून नदी तक पहुंचने वाले पानी से नालों व खारून नदी की गुणवत्ता किसी तरह प्रभावित नहीं हो रही है। इन क्षेत्रों में स्थित अधिकांश उद्योग वायु प्रदूषणकारी प्रकृति तथा इनसे दूषित जल का निस्सारण होकर नदी नाले में मिलने जैसी स्थिति नहीं है। क्षेत्र में कोई भी ऐसा जल प्रदूषणकारी उद्योग संचालित नहीं है, जिसमें दूषित जल उपचार संयंत्र स्थापित न हो। इसी तरह मंडल द्वारा प्रदेश की मुख्य नदियां महानदी, शिवनाथ, खारून, अरपा, हसदेव, केलो, शंखनी.डंकनी, मांड, इंद्रावती में प्राकृतिक जल स्त्रोतों की गुणवत्ता पर सतत् रूप से निगरानी रखी जा रही है।
इसके लिए विभिन्न सैम्पलिंग प्वॉइंट बनाए गए हैं, जहां से सैम्पल लेकर जल स्त्रोतों की गुणवत्ता की जांच की जाती है। प्रदेश की प्रमुख नदियों महानदी में 8 सैम्पलिंग बिन्दुओंए खारून नदी में 4, हसदेव नदी में 4, शिवनाथ नदी में 6, केलो नदी में 2, इन्द्रावती नदी में व शंकिनी नदी में 1 बिन्दु पर लगातार सैम्पल लेकर जल की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। मण्डल द्वारा की गयी जांच में महानदी, शिवनाथ, खारून, अरपा एवं केलो नदियों में जल गुणवत्ता भारतीय मानक आईएस 2296 के अंतर्गत श्रेणी सी, अर्थात परम्परागत् उपचार उपरांत पीने योग्य पाई गई है। मण्डल की ओर से इन जांच नमूनों के अतिरिक्त सभी प्रमुख नदियों तथा उनकी सहायक नदियों एवं मुख्य झीलों, बाँधों तथा तालाबों के जल गुणवत्ता की मॉनिटरिंग भी की जा रही है। पानी में बीओडी की मात्रा 3 मिलीग्राम के भीतर तथा डीओ की मात्रा 5.6 मिलीग्राम पाई गई है, जो कि निर्धारित मानकों के अनुरूप हैं। राज्य शासन के मार्गदर्शन में राज्य की 5 नदियों महानदी, शिवनाथ, खारून, अरपा एवं केलो, जिनमें कुछ भाग घरेलू दूषित जल से प्रभावित है। इनमें सुधार के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना कराई जा रही है। इस तारतम्य में एनजीटी द्वारा दिये गए निर्देशों के अनुसार 1 जुलाई 2021 के पूर्व नगरीय क्षेत्रों से जनित दूषित जल के उपचार के लिए दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना एवं उसके संचालन के लिए सभी नगरीय निकायों को निर्देशित किया गया है। फलस्वरूप घरेलू दूषित जल के उपचार के लिए विभिन्न नालों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की कार्यवाही की जा रही है।

रायपुर। देश के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, पंजाब नैशनल बैंक ने प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर और फर्स्ट (फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी) के साथ संयुक्त रूप से आईआईटी परिसर में पंजाब नेशनल बैंक–आईआईटी कानपुर इनोवेशन सेंटर स्थापित करने के लिए गठबंधन की घोषणा की है। पीएनबी के एमडी एवं सीईओ सीएचएसएस मल्लिकार्जुन राव और बैंक तथा आईआईटी कानपुर एवं फर्स्ट के उच्चाधिकारियों की उपस्थिति में पंजाब नेशनल बैंक के हेड क्वार्टर, द्वारका, नई दिल्ली में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इस साझेदारी के अन्तर्गत, पीएनबी और आईआईटी कानपुर “फिनटेक इनोवेशन सेंटर (एफआईसी” की स्थापना करेंगे जो चुनौतियों का समाधान करने और बीएफएसआई में अवसरों का पता लगाने के लिए नवीन समाधान को प्रोत्साहित करने के लिए एक वाहन के रूप में कार्य करेगा। पंजाब नैशनल बैंक, आईआईटी कानपुर में फिनटेक इनोवेशन सेंटर बनाकर आईआईटी कानपुर के अनुभवी संकाय सदस्य एवं फर्स्ट की मदद से तकनीकी चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ आरएंडडी सिस्टम और नए उत्पाद बनाने और विकसित करना चाहता है। आईआईटी कानपुर के तकनीकी कौशल और पीएनबी की वित्तीय विशेषज्ञता की साझेदारी इसे एक उपयुक्त “फिन-टेक” साझेदारी बनाती है,जो नवाचारों और उद्यमशीलता की उत्कृष्टता में मदद करेगी। फिनटेक इनोवेशन सेंटर को वित्तीय संस्थानों के समग्र इको सिस्टम, शिक्षाविदों, वीसी कोष, प्रौद्योगिकी कंपनियों और प्रमुख सरकारी संगठनों के द्वारा समर्थित किया जाएगा। नियोजित फोकस क्षेत्र में फिनटेक, डिजिटल लेंडिंग, पेमेंट्स, साइबर सिक्योरिटी, आदि शामिल है। बैंक को आईआईटी-कानपुर द्वारा लगाए गए फिन-टेक के पूल तक उनके अभिनव समाधानों के साथ पहुंच प्राप्त होगी।
इस अवसर पर पंजाब नेशनल बैंक के एमडी एवं सीईओ सीएचएसएस मल्लिकार्जुन राव ने कहा कि “यह पीएनबी और आईआईटी कानपुर के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है,जहां हम देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों को बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं में विशेषज्ञता लाने के लिए एक साथ आएं है। यह पंजाब नेशनल बैंक और वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए तकनीकी समाधान विकसित करने के लिए आईआईटी कानपुर द्वारा शुरू की गई स्टार्ट-अप और फिनटेक कंपनियों को एक अवसर प्रदान करेगा। हमें ग्राहकों के विभिन्न क्षेत्रों अर्थात रिटेल, कृषि, एमएसएमई आदि को फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज के साथ सर्वोपयोगी समाधान प्रदान करने की आवश्यकता है। प्रत्येक लिंक पर डिजिटल या भौतिक स्पर्श बिंदुओं के माध्यम से ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने में अंतिम मील कनेक्ट और टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। परिधीय समाधान, ओपन बैंकिंग आदि के माध्यम से ग्राहक और बैंक के बीच लिंक का विस्तार करने के लिए फिनटेक के उद्यमी और स्टार्टअप, ग्राहक केन्द्रित प्रौद्योगिकी समाधान को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस अवसर पर आईआईटी कानपुर के प्रो.अमिताभ बंद्योपाध्याय ने कहा, आईआईटी कानपुर में पीएनबी-एफआईसी की स्थापना के साथ बैंक के लिए उन्नत समाधान विकसित करने के लिए फिनटेक से संबंधित नव-तकनीकों में विश्व स्तरीय अनुसंधान किया जाएगा।


रायपुर। नवरात्रि के पावन अवसर पर माँ दुर्गा की स्थापना हर्षोल्लास से भक्तों द्वारा की जा रही है। शनिवार को नवरात्र के प्रथम दिन राजधानी के विभिन्न दुर्गोत्सव समितियों के द्वारा भव्य पंडालों में माता की मूर्ति स्थापित की गई। इसी कड़ी में राजा तालाब में जय अंबे दुर्गा उत्सव समिति राजा तालाब गली नंबर 3 समिति की ओर से भी माता की मूर्ति स्थापित की गई।

रायपुर। छत्तीसगढ़ पर्यटन की दृष्टि से विविधताओं वाला प्रदेश है। कृषि उत्पादन की दृष्टि से यहां अनेकों विविधताएं हैं। यहां पर धान की अनेकों प्रजातियां संग्रहित हैं। कुछ विशेष प्रकार की फसल जैसे चाय, अमरूद, लीची, काजू, आलू, अनानास, नाशपति, सीताफल आदि की खेती भी हो रही है। इस तरह छत्तीसगढ़ को कृषि पर्यटन राज्य के रूप में भी स्थापित किया जा सकता है, इस क्षेत्र में अनेकों संभावनाएं हैं। यह बातें राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कही। वे आज एक न्यूज पोर्टल की स्मारिका घुमक्कड़ जंक्शन का ऑनलाइन विमोचन कर रही थीं। उन्होंने इस स्मारिका के संपादक ललित शर्मा को शुभकामनाएं दी। प्रोत्साहन के रूप में एक लाख रुपए देने की घोषणा की। यह स्मारिका छत्तीसगढ़ पर्यटन पर आधारित है। राज्यपाल ने सभी को विश्व पर्यटन दिवस की बधाई भी दी। राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा मिलने से यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा,उनकी आय बढ़ेगी और यहां की ज्वलंत समस्या नक्सलवाद पर अंकुश लगाने में भी मदद मिलेगी। मेरी पर्यटन में विशेष रूचि है और जब मुझे अवसर मिलता है तो पर्यटन स्थलों का भ्रमण करती हूं। अपने जीवन काल में देश-विदेश के अनेक स्थलों का भ्रमण किया है और आनंद लिया है। राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ को पर्यटन केन्द्र के रूप में स्थापित करने के लिए सुझाव दें,वे केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को पत्र लिखकर और हरसंभव मदद करेंगी।
उन्होंने कहा कि यहां पर अथाह प्राकृतिक संपदा है। उत्तर छत्तीसगढ़ की ओर देखें तो सरगुजा अंचल के कोरिया जिले में सीतामढ़ी हरचौका और सरगुजा जिले के रामगढ़ में सीता बेंगरा व लक्ष्मण बेंगरा गुफा है, जहां पर वनवास काल में राम-सीता आने के चिन्ह मिलते हैं। तो वहीं दक्षिण बस्तर में चित्रकोट सहित अनेकों जलप्रपात हैं, जिन्हें देखते हुए आंखे नहीं थकती, जहां जाते ही मन को शांति मिलती है। राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के 32 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी समुदाय का है, जिनकी परंपराएं अनोखी और मनमोहने वाली है। सबसे अच्छी बात है कि वे अपनी परंपराओं को संजोए हुए हैं। इन परंपराओं को राजधानी के पुरखौती मुक्तांगन में प्रदर्शित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ को पर्यटन राज्य के रूप में उभारने और सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। राज्यपाल ने इस क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संस्थाओं और सामाजिक संगठनों से आग्रह किया है कि छत्तीसगढ़ के अनछुए पहलुओं को सामने लाएं, इसे संग्रहित करें और उन्हें राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय मंचों में प्रस्तुत करें, इसमें युवाओं की प्रमुख भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि,आवश्यकता है ऐसी पहल सिर्फ सरकार की तरफ से न हों, आम जनता भी सहभागी बनें और छत्तीसगढ़ के बाहर और देश-विदेश के लोगों के प्रदेश के पर्यटन की जानकारी दें, उनके बारे में बताएं। हम सबके प्रयास से छत्तीसगढ़ निश्चित ही एक प्रमुख पर्यटन केन्द्र के रूप में स्थापित होगा। इस दौरान सीएसएचडी छत्तीसगढ़ के सचिव विवेक सक्सेना सहित अन्य नागरिक उपस्थित थे।

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी है। उन्होंने अपने शुभकामना संदेश में कहा है कि भगवान विश्वकर्मा निर्माण और सृजन के देवता हैं। उन्हें विश्व का निर्माता तथा देवताओं का वास्तुकार माना गया है। संसार के प्रथम वास्तुकार की संज्ञा भी उन्हें दी गई है। श्रम से सृजन की सार्थकता को भगवान विश्वकर्मा ने ही समाज में स्थापित किया। समाज का सुव्यवस्थित, सुरक्षित स्वरूप भगवान विश्वकर्मा की ही देन है। बघेल ने इस अवसर पर राज्य की समस्त औद्योगिक इकाईयों में नियोजित श्रमवीरों को हार्दिक बधाई देते हुए कहा है कि विश्वकर्मा जयंती का दिन हमें यह संदेश देता है कि हम श्रम से अपने समाज और राष्ट्र के निर्माण के लिए संकल्पित हों। प्रदेश के विकास में श्रमवीरों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि नवा छत्तीसगढ़ के निर्माण में श्रमवीरों की सक्रिय भूमिका होगी।

कोरिया। नगर पालिका परिषद मनेन्द्रगढ़ कार्यालय में गोधन न्याय योजना से प्राप्त गोबर से बनी गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित की गई है। नपा कार्यालय में विधायक गुलाब कमरो, नपाध्यक्ष प्रभा पटेल,उपाध्यक्ष कृष्णमुरारी तिवारी,जनपद अध्यक्ष डॉ.विनय शंकर सिंह, उपाध्यक्ष राजेश साहू,सीएमओ,पार्षद नागेंद्र जायसवाल, श्याम सुंदर पोद्दार, पप्पू हुसैन सहित जनप्रतिनिधि व कर्मचारियों ने भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर प्रदेश व नगर की सुख,समृद्धि,प्रगति,उन्नति व खुशहाली की कामना की।

रायपुर/नारायणपुर। जिले में संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय छेरीबेड़ा और ओरछा में कक्षा 6वीं के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन 16 जुलाई रविवार को सुबह साढ़े 10 से साढ़े 12 बजे तक जिला मुख्यालय में परीक्षा केन्द्र स्थापित किया गया। जिसमें एकल्व्य आवासीय विद्यालय छेरीबेडा का परीक्षा केन्द्र शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नारायणपुर को बनाया गया है। जिसका केन्द्राध्यक्ष प्राचार्य एके स्वर्णकार को बनाया गया है। जिसमें रोल नंबर 176001 से 176200 तक आने वाले विद्यार्थियों की परीक्षा होगी। वहीं एकलव्य आवासीय विद्यालय छेरीबेड़ा और ओरछा के केन्द्राध्यक्ष प्राचार्य मनोज बागड़े को बनाया गया है। विद्यार्थी जिनका रोल नंबर 176201 से 176344 और 176499 से 176553 है।
उनके लिए परीक्षा केन्द्र शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नारायणपुर को निर्धारित किया गया है।प्रवेश परीक्षा संचालन के दौरान कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए शासन द्वारा जारी समस्त दिशा-निर्देशों का पालन करना सुनिश्चित करते हुए परीक्षार्थियों द्वारा निर्धारित सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जाएगा। सभी परीक्षार्थी स्वयं मास्क, साफ कपड़ा, रूमाल से अपना मुंह अनिवार्य रूप से ढंककर या बांधकर आएं और परीक्षा केन्द्र में प्रवेश करने के पूर्व परीक्षार्थी स्वयं को सेनेटाइज करके ही प्रवेश करें। प्रवेश परीक्षा के संबंध में अधिक जानकारी के लिए कार्यालय सहायक आयुक्त, कार्यालय जगदलपुर से सम्पर्क कर सकते हैं।