
रायपुर। विधानसभा का वित्तीय वर्ष 2020- 21 में एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का बजट बीते दिन सदन ने पारित कर दिया। प्रदेश के इतिहास में पहली बार बिना चर्चा के बजट गिलोटिन के माध्यम से पारित किया गया है। राज्य के दो विश्वविद्यालयों के नाम बदलने समेत 28 विधेयकों को भी सदन ने मंजूरी दी। बता दे कि भाजपा के सदस्य सदन में बजट पारित करने के दौरान मौजूद नहीं थे। बिना चर्चा के विधेयकों को पास किए जाने के विरोध वे वाकआउट कर गए थे। करीब पौने दो घंटे की बैठक के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन की कार्यवाही के संबंध में संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि बजट से संबंधित सभी प्रस्ताव सदन में सीएम भूपेश बघेल ने रखा था। इसे सदन ने गिलोटिन के माध्यम से पारित कर दिया। 'गिलोटन' प्रक्रिया से अभिप्राय है जिन मांगों पर चर्चा नहीं हो पाती है उसे बिना चर्चा के ही मतदान कराकर पास कर दिया जाता है। विधानसभा में बीते दिन पहली बार कार्यमंत्रणा समिति के प्रस्ताव पर मतदान हुआ। सदन में विपक्षी भाजपा ने कार्यसूची में गैर वित्तीय कार्यों को शामिल किए जाने का विरोध करते हुए मत विभाजन की मांग की,

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा का एकदिवसीय विशेष सत्र शुरुआत से ही हंगामेदार रहा। शुरुआत में ही विपक्ष के वाकआउट करने के बाद छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने भी सदन से वाकआउट किया। एसटीएससी आरक्षण के अनुसमर्थन के लिए बुलाए गए विशेष सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से हुई। राज्यपाल का अभिभाषण शुरू होने से पहले बृजमोहन अग्रवाल ने गलत परंपरा की शुरुआत करने का आरोप लगाते हुए विपक्ष के बहिष्कार का ऐलान किया। इन सब के चलते विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. चरणदास महंत ने सदन की कार्यवाही को दोपहर 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि यह संसदीय प्रणाली के विपरीत है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता। पहले संशोधन प्रस्ताव लाया जाना चाहिए था, इसके बाद चर्चा के लिए सदन में विषय को रखा जाना चाहिए।

रायपुर। महाराष्ट्र में कांग्रेस शिवसेना व एनसीपी की मिली जुली सरकार बने ज्यादा समय नहीं हुआ और पहली ही परीक्षा में उनके कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की धज्जियां उड़ा दी नागरिकता संशोधन बिल ने। नागरिकता संशोधन बिल पर एनसीपी और कांग्रेस ने जहां लोकसभा में बिल के खिलाफ मतदान किया तो शिवसेना बिल के समर्थन में खड़ी नजर आई। शिवसेना के बदले रुख से नाराज एनसीपी और कांग्रेस ने जब दबाव बनाया तो 2 दिन बाद ही राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश होने पर शिवसेना ने यु टर्न मार लिया। लोकसभा में बिल के समर्थन में मतदान करने वाली शिवसेना राज्यसभा में मतदान ना कर वाकआउट करते नजर आई। यानी यहां भी उसने इस बिल का समर्थन तो नहीं किया लेकिन बिल का विरोध कर रही कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर विरोध में मतदान भी नहीं किया। कट्टर हिंदुत्व और कथित धर्मनिरपेक्षता की चक्की में शिवसेना बुरी तरह पिस गई है। और महाराष्ट्र की महाआघाड़ी की सरकार का न्यूनतम साझा प्रोग्राम साफ दम तोड़ता नज़र आया। एनसीपी कांग्रेस और शिवसेना के लिए ये बुरा सपना है तो महाराष्ट्र में भाजपा के लिए उम्मीद की किरण बनाता नज़र आ रहा है।