कुर्सी छोड़ने वाले जिलाध्यक्षों को मिलेगा टिकट ?…या पद से हटाने का है ये लॉलीपॉप
कुर्सी छोड़ने वाले जिलाध्यक्षों को मिलेगा टिकट ?…या पद से हटाने का है ये लॉलीपॉप
रायपुर | 2018 के चुनाव में जिलाध्यक्षों की लॉटरी खुलेगी!..या फिर उन्हे लॉलीपाप पकड़ाया जायेगा ?…क्योंकि जिस दलील के साथ मौजूदा जिलाध्यक्षों की कुर्सी खाली करायी जा रही है…उनमें अधिकांश को टिकट मिलेगी ? इसकी तो गुंजाइश ना…. के बराबर है। 2013 के चुनाव में सिर्फ तीन जिलाध्यक्षों को टिकट मिली थी। बलौदाबाजार के जिलाध्यक्ष जनकराम वर्मा…बस्तर के जिलाध्यक्ष लखेश्वर बघेल और रायपुर शहर अध्यक्ष विकास उपाध्याय!…उनमें से जनकराम वर्मा और लखेश्वर बघेल विधायक बन गये…पर विकास उपाध्याय चुनाव हार गये। इस बार 10-12 जिलाध्यक्षों को उस दलील के साथ हटाया जा रहा है…क्योंकि वो चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। लेकिन जिन जिलाध्यक्षों की कुंडली तैयार की गयी है…उनमें से लगता नहीं कि सबको टिकट दी जायेगी.. खासकर उस परिस्थिति में जब उस क्षेत्र में सिटिंग एमएलए कांग्रेस के हैं। लिहाजा लगता तो यही है कि जिलाध्यक्षको हटाने के लिए सिर्फ बहाने ही ढूंढे जा रहे हैं।
परफार्मेंस के आधार पर चयन ?
दिल्ली से लौटे भूपेश बघेल से जब ये सवाल पूछा गया कि जिलाध्यक्ष को हटाने का पैरामीटर क्या है? तो भूपेश ने कहा कि चूंकि जिलाध्यक्ष “की पोस्ट” है..इसलिए चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों को जिलाध्यक्ष की कुर्सी से अलग जिम्मेदारी दी जायेगी। हालांकि लोगों की नजर में ये असंतुष्टों को संतुष्ट करने का फार्मूला भी हो सकता है।
हटाये गये जिलाध्यक्ष पीसीसी में होंगे सेट ?
माना जा रहा है कि जिलाध्यक्ष से हटाये जाने के बाद कांग्रेस की अंदरूनी बगावत शुरू हो सकती है..। ऐसे में कुछ जिलाध्यक्ष को महासचिव और कुछ को सचिव जैसे पद दिये जा सकते हैं।