कोरोना के कारण बीते 5 महीनों में रिटेल व्यापार को 19 लाख करोड़ का नुकसान
/ भिन्न छत्तीसगढ़
रायपुर। कन्फेडरेशन ऑफ आल इंड़िया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र दोशी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार राठी ने बताया कि देश में कोरोना महामारी ने पिछले 5 महीनों में भारतीय खुदरा व्यापार को लगभग 19 लाख करोड़ रुपये के व्यापार घाटे का सामना करना पड़ा है,जिसके परिणामस्वरूप घरेलू व्यापार में इस हद तक उथल-पुथल हुई है कि लॉक डाउन खुलने के 3 महीने के बाद भी देश भर में व्यापारी बड़े वित्तीय संकट और दुकानों पर ग्राहकों के बहुत कम आने से बेहद परेशान हैं जबकि दूसरी तरफ व्यापारियों को अनेक प्रकार की वित्तीय जिम्मेदारियों को भी पूरा करना है वहीं ई-कॉमर्स कंपनियां गैर अनुमति वाली वो सब तरीके अपना रही हैं,जिससे देश के व्यापारियों को व्यापार से बाहर किया जा सके। रिटेल बाजार में पैसे का संकट पूरी तरह बरकरार है। नवम्बर-दिसंबर के दिए हुए माल का भुगतान जो फरवरी-मार्च तक आ जाना चाहिए था वो भुगतान अभी तक बाजार में नहीं हो पाया है,जिसके कारण व्यापार का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।
कैट ने यह आंकड़े जारी करते हुए बताया की देश भर में रिटेल बाजार विभिन्न राज्यों के 20 प्रमुख शहरों से आँका जाता है क्योंकि यह शहर राज्यों में सामान वितरण का बड़ा केंद्र हैं। इनमें दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, हैदराबाद, चेन्नई, नागपुर, रायपुर, भुवनेश्वर, रांची, भोपाल, सूरत, लखनऊ, कानपुर, जम्मू, कोचीन, पटना, लुधियाना, चंडीगढ़, अहमदाबाद, गौहाटी शामिल हैं। इन शहरों से बातचीत कर यह आंकड़े लिए गए हैं,जिनसे यह साफ दिखाई पड़ता है कोरोना ने किस कदर देश के व्यापार को प्रभावित किया है जो फिलहाल संभालने की स्थिति में नहीं है। देश के घरेलू व्यापार की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि देश में घरेलू व्यापार अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है और रिटेल व्यापार पर चारों तरफ से बुरी मार पड़ रही है और यदि तुरंत इस स्थिति को ठीक करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाये गए तो देश भर में लगभग 20 प्रतिशत दुकानों को बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा,जिसके कारण बड़ी संख्यां में बेरोजगारी भी बढ़ सकती है। पारवानी ने कहा कि एक अनुमान के अनुसार देश के घरेलू व्यापार को अप्रैल में लगभग 5 लाख करोड़ का जबकि मई में लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपये और जून महीने में लॉक डाउन हटने के बाद लगभग 4 लाख करोड़ था तथा जुलाई में लगभग 3 लाख करोड़ तथा अगस्त में 2.5 लाख करोड़ के व्यापार का घाटा हुआ है।
आम आदमी कोरोना को लेकर बहुत ज्यादा डर में है,जिसके कारण स्थानीय ग्राहक बाजारों में नहीं आ रहे हैं जबकि ऐसे लोग जो पडोसी राज्यों या शहरों से सामान खरीदते रहे हैं वे लोग भी कोरोना से भयभीत होने तथा दूसरी ओर एक राज्य से दूसरे राज्य में अंतरराज्यीय परिवहन, रेल आदि की उपलब्धता न होने के कारण से थोक बाजारों में नहीं आ रहे हैं। उदहारण के तौर पर दिल्ली में प्रतिदिन 5 लाख व्यापारी देश के अन्य राज्यों से आते थे किन्तु वर्तमान में अन्य राज्यों के व्यापारी दिल्ली आ ही नहीं रहे हैं। इन सब कारणों से देश के रिटेल व्यापार की चूलें हिल गई हैं। पारवानी ने केंद्र एवं सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया है की वो व्यापारियों की वर्तमान स्थिति को देखें और देश के रिटेल व्यापार को दोबारा स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठायें। यदि देश में 20 प्रतिशत दुकानें बंद हो गई तो इसका सबसे बड़ा खामियाजा देश की अर्थव्यवस्था को भुगतना पड़ेगा वहीं राज्य सरकारों के आर्थिक बजट भी पूरी तरह हिल जाएंगे। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीथारमन से आग्रह किया की फिलहाल व्यापारियों पर ब्याज देने का दबाव बैंकों द्वारा न डाला जाए इसके लिए बैंकों को निर्देशित करना आवश्यक है। सरकारें अन्य क्षेत्रों के कर्जे माफ करती हैं, हम तो केवल ब्याज अभी न लिया जाए और किसी भी किस्म की पेनल्टी व्यापारियों पर न लगाई जाए, केवल इतनी मांग कर रहे हैं।