तीन जिलों से छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर सकता है टिड्डी दल, अलर्ट जारी होते ही रायपुर सहित सभी जिलों में तैयारियां तेज
/ भिन्न छत्तीसगढ़
रायपुर। टिड्डी दल राजस्थान होते हुए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र राज्य तक पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ में प्रवेश की संभावना को देखते हुए कृषि विभाग ने अलर्ट जारी किया है। कृषि विभाग के अधिकारियों को टिड्डी दल के प्रकोप की रोकथाम के लिए किसानों को आवश्यक मार्गदर्शन और दवाओं के छिड़काव के बारे में भी जानकारी देने के कहा गया है। संचालक कृषि टामन सिंह सोनवानी ने बताया कि 27 मई को सुबह सवा 4 बजे टिड्डी दल सिंगरौली की तरफ बढ़ा है, जो छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती जिले कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर की ओर से छत्तीसगढ़ राज्य में प्रवेश कर सकता है। उन्होंने सभी जिला कलेक्टरों को टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए आपदा प्रबंधन मद से आवश्यक व्यवस्था करने को कहा है। टिड्डी दल के संबंध में सूचनाओं के आदान-प्रदान और इनके नियंत्रण के लिए कृषकों को आवश्यक सलाह दिए जाने के लिए जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष भी स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं।
रायपुर में जिला स्तरीय दल का गठन, नंबर जारी
रायपुर जिले के प्रभारी कलेक्टर एवं नगर निगम रायपुर के आयुक्त सौरभ कुमार के निर्देश पर जिले में टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव के लिए जिला स्तरीय दल का गठन किया गया है। इसी तारतम्य में बुधवार को जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ.गौरव कुमार सिंह ने कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर जिले में टिड्डी दल के प्रकोप से सुरक्षा के व्यापक व्यवस्था के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिले में भी टिड्डियों के समूह आने की संभावना है। पेस्टीसाइड और स्प्रेयर की व्यवस्था के संबंध में जिले में समन्वय स्थापित करने कहा है। टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव के लिए जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। जिला स्तर पर नोडल अनुविभागीय कृषि अधिकारी दीपक कुमार नायक को नियुक्त किया गया है। इसी तरह विकासखंड स्तर पर धरसींवा विकासखंड के लिए बीआर धृतलहरे,आरंग के लिए एमएल थावरे, अभनपुर के लिए एचसी साहू और तिल्दा के लिए जीएस यादव को नोडल अधिकारी बनाया गया है। टिड्डी दल के किसी भी प्रकार की जानकारी या सूचना नियंत्रण कक्ष के दूरभाष नंबर 0771-2439497 या टोल फ्री नंबर 1800-233-1850 पर दिया जा सकता है।
टिड्डी दल को नियंत्रित करने किसान कर सकते हैं ये प्रयास
उप संचालक कृषि आरएल खरे ने बताया कि टिड्डी दल नियंत्रण के लिए किसान दो प्रकार के साधन अपना सकते हैं। इसमें भौतिक साधन से किसान टोली बनाकर विभिन्न प्रकार के परंपरागत उपयोग शोर मचाकर,ध्वनि वाले यंत्रों को बजाकर,डराकर भगाया जा सकता है। इसके लिए ढोलक,ट्रैक्टर,मोटर साइकल का साइलेंसर, खाली टीन डिब्बे, थाली इत्यादि से ध्वनि की जा सकती है। टिड्डी दल के उपचार के लिए ट्रेक्टर स्प्रेयर धारक किसानों से ट्रेक्टर स्प्रेयर की व्यवस्था की जा रही है। इसके अतिरिक्त सभी छोटे स्प्रेयर वाले किसानों को फसलों के बचाव करने के लिए सभी किसानों को तैयार रहने की जानकारी दी गई है।
कीट नाशक दवाओं के छिड़काव से रूकता है टिड्डों का प्रकोप
कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि टिड्डा कीट लगभग दो से ढाई इंच लंबा होता है। टिड्डा कीट हमेशा समूह में रहते हैं। टिड्डी दल जब भी समूह में खेत के आसपास आकाश में उड़ते दिखाई दे, तो उनको उतरने से रोकने के लिए तुरंत खेत के आसपास मौजूद घास-फूस को जलाकर धुंआ करना चाहिए। इससे टिड्डी दल खेत में न बैठकर आगे निकल जाएगा। कृषि विभाग ने टिड्डी दल के प्रकोप की रोकथाम के लिए किसानों को रासायनिक उपचार के बारे में भी आवश्यक जानकारी दी है। टिड्डी दल शाम को 6 से 7 बजे के आसपास जमीन में बैठ जाता है और सुबह 8 से 9 बजे के करीब उड़ता है। रासायनिक यंत्रों के लिए इस अवधि में इनके ऊपर ट्रेक्टर चलित स्पेयर की मदद से कीट नाशक दवाईयों का छिड़काव करके इनकों मारा जा सकता है। दवाओं का छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11 बजे से सुबह 8 बजे तक होता है। टिड्डी के नियंत्रण के लिए डाईफ्लूबेनज्यूरान 25 प्रतिशत घुलनशील पावडर 120 ग्राम या लैम्बडा-साईहेलोथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी 400 मिली या क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी 200 मिली प्रति हेक्टेयर कीटनाशक का छिड़काव किया जाना चाहिए। कृषि विभाग ने किसानों से टिड्डी दल के दिखाई देते ही तत्काल अपने इलाके के कृषि विभाग के अधिकारी, किसान मित्रों, सलाहकारों या कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ.चंद्रमणी साहू अथवा किसान हेल्प लाईन टोल फ्री नंबर 18002331850 पर संपर्क किया जा सकता है।