सफेद हाथी बनी वन विभाग की बांस शिल्प कला
/ भिन्न छत्तीसगढ़
बीजापुर। बीजापुर में बांस का उत्पादन सबसे अधिक होनेेे के बाद भी जिला मुख्यालय के डिपो में बांस उपलब्ध नहीं है। डिपो में बांस नहीं होने से आम लोगों को दैनिक उपयोग करने के लिए जंगल का रुख करना पड़ रहा है। डिपो में बांस नहीं होने के कारण डिपो खाली पड़ा हुआ जिसकी वजह से बांस शिल्प कला केंद्र के महिला समूहों के साथ साथ वन विभाग के अधिकारियों के चेहरे पर साफ चिंता झलक रही है। वन विभाग बांस शिल्प कला केंद्र का संचालन करता है जिसके लिए विभाग स्व सहायता समूह को दैनिक मजदूरी देता है। अब बांस प्रसंस्करण केंद्र वन विभाग के लिए सफेद हाथी सालोंं से बना हुआ है। वन विभाग ने बांस प्रसंस्करण केंद्र 2017 में जिला मुख्यालय के डिपो काष्टागार में संचालित किया था। इसमें अधिकांश स्व सहायता समूह की महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पूरे जिलों में बांस के बने शिल्प कला घर घर में दिखने लगा। इसके बाद बीजापुर जिले का बांस शिल्प केंद्र प्रदेश भर में भी प्रचलित होने लगा था।
डिपो में बांस नहीं होने से महिला समूह के पास कम काम होने के कारण दैनिक रोजी महिला समूह को देनी पड़ रही है। क्योंकि विभाग का मानना है कि जिले की बांस शिल्प कला देश प्रदेश में बना रहे है जिसके लिए दैनिक भत्ता दिया जा रहा है जो वन विभाग के लिए सफेद हाथी बना हुआ है। वन परिक्षेत्र अधिकारी का कहना है की पुराने बांस से ही काम कर रहे हैं। बीजापुर वन मंडल में प्राकृतिक बांस का उत्पादन सबसे अधिक होता है, आठ वन परिक्षेत्र है जिसमें बांस के 40 कूप अच्छे प्रकृति उत्पादन है। बांस के उत्पादन से ही वन विभाग को करोड़ों के फायदा होता है। कई साल से बांस की कटाई रुक जाने की वजह से वन विभाग को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। बांस कटाई को लेकर वन विभाग का कहना है कि अंदरूनी क्षेत्र में नक्सली दबाव के चलते बांस की कटाई नहीं हो पा रही है। वन विभाग प्राइवेट एजेंसी बनाकर क्षेत्र में बांस कटवाने की योजना बना रहा है। क्षेत्र में बांस के अधिक उत्पादन को देखकर मुख्यमंत्री ने भोपालपटनम प्रवास के दौरान जिले में पेपर कारखाना लगवाने का आश्वासन दिया है। कारखाना लग जाने से अधिकांश लोगों को रोजगार के साथ साथ स्व सहायता समूह को पुनः काम करने का अवसर मिल जाएगा।