देश की अर्थव्यवस्था बदहाल, 4.5 फीसदी पर पहुंची जीडीपी
/ बिज़नेसनई दिल्ली
नई दिल्ली। वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है। जुलाई-सितंबर तिमाही में विकास दर 4.5 फीसदी रही। सुस्ती के चलते पहली तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को इन आंकड़ों को जारी किया था। यह छह साल (26 तिमाही) में सबसे कम है। इससे कम 4.3 फीसदी जनवरी-मार्च 2013 में रही थी। जीडीपी ग्रोथ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की सुस्ती की वजह से ज्यादा प्रभावित हुई। इस सेक्टर की ग्रोथ (-)1 फीसदी रही। पिछले साल सितंबर तिमाही में 4.9 फीसदी थी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि आज जारी हुए जीडीपी के आंकड़े कहीं से भी मंजूर नहीं है। हमें 8-9 फीसदी से बढऩा चाहिए था। जीडीपी में पहली तिमाही के मुकाबले इस बार आधा फीसदी की ज्यादा गिरावट दूसरी तिमाही में हुई है। केवल आर्थिक नीतियों में बदलाव से इसका हल नहीं निकलेगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल काफी मजबूत हैं। तीसरी तिमाही से जीडीपी में फिर से बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। सर्वे में कहा गया कि रिजर्व बैंक एक बार फिर रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। तीन से पांच दिसंबर चलने वाली एमपीसी बैठक में रेपो रेट को घटाकर 4.90 फीसदी पर की जा सकती है। सर्वे में शामिल अधिकतर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि घरेलू कर्ज की धीमी रफ्तार और कंपनियों के घटते मुनाफे की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को रफ्तार पकडऩे में समय लगेगा।